गाजीपुर में यादव समाज पर टूटा बिजली का कहर अखिलेश यादव बने आवाज़

 



गाजीपुर में बुझ गए यादव समाज के चिराग अखिलेश यादव ने उठाई इंसाफ की आवाज़


गाजीपुर में यादव समाज पर टूटा बिजली का कहर अखिलेश यादव बने आवाज़


उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में एक बेहद दर्दनाक और हृदयविदारक हादसा सामने आया, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। एक धार्मिक आयोजन के दौरान हाई टेंशन तार की चपेट में आने से पांच लोगों की मौत हो गई, जिनमें सभी यादव समाज से थे। यह हादसा न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि प्रदेश की जातीय राजनीति में एक बार फिर उबाल ले आया है।



हादसे की पूरी कहानी



ग्राम नरवर में बाबा काशीदास की पूजा की तैयारी चल रही थी। इसी दौरान जब झंडा लगाने के लिए हरा बांस खड़ा किया गया, तो वह हवा के तेज झोंकों से हाई टेंशन लाइन (13,32,000 वोल्ट) से टकरा गया। तुरंत ही करंट फैल गया और सात लोग इसकी चपेट में आ गए। फातिमा अस्पताल मऊ में इलाज के दौरान पांच लोगों की मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। मृतकों में छोटेलाल यादव (35), रविंद्र यादव (29), गोरख यादव (23), और अमन यादव (22) शामिल हैं।



जातीय राजनीति फिर चर्चा में



इस घटना ने प्रदेश की राजनीतिक परिदृश्य में फिर जातीय समीकरणों की बहस छेड़ दी है। अक्सर आरोप लगते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार एक खास जाति को प्राथमिकता देती है। वहीं, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव पर यह आरोप लगता रहा है कि वे केवल यादव और मुस्लिम समुदाय के लिए ही आवाज उठाते हैं। लेकिन इस घटना में अखिलेश यादव ने तुरंत संज्ञान लेते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर ट्वीट किया और पीड़ित परिवारों के लिए न्याय और मुआवज़े की मांग की।



अखिलेश यादव का मानवीय और जिम्मेदाराना रुख



अखिलेश यादव ने न केवल संवेदना व्यक्त की, बल्कि घटना के पीछे की लापरवाही पर सीधा हमला करते हुए लिखा:


“उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में हाई टेंशन लाइन से करंट लगने की वजह से चार लोगों की मौत और अन्य कई लोगों के गंभीर रूप से घायल होने की सूचना दुखद है। सरकार और बिजली विभाग इसके लिए एक-दूसरे को ज़िम्मेदार ना ठहराएं, बल्कि जांच बिठाएं, दोषियों को बर्खास्त करें और मृतकों व घायलों को मुआवज़ा दें।”


उनका यह बयान संवेदनशीलता और जवाबदेही की मिसाल है, जो यह दर्शाता है कि वे केवल राजनीति नहीं, जनहित को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने बिजली संकट, पुराने प्लांट्स की दुर्दशा और सोलर एनर्जी की उपेक्षा को लेकर भी सरकार को घेरा, जो एक जिम्मेदार विपक्षी नेता का संकेत है।



योगी आदित्यनाथ का आधिकारिक संज्ञान



मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस दुखद घटना पर शोक व्यक्त किया और अधिकारियों को त्वरित राहत एवं सहायता के निर्देश दिए। यह जरूर स्वागतयोग्य है, लेकिन बार-बार होने वाली ऐसी घटनाएं यह सवाल खड़ा करती हैं कि क्या प्रदेश की आधारभूत संरचनाएं और बिजली प्रबंधन सुरक्षित हैं?



निष्कर्ष



गाजीपुर की यह त्रासदी केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश में शासन और सुरक्षा प्रणाली की असफलता का दुखद उदाहरण है। ऐसे हादसे तब और भी मार्मिक हो जाते हैं जब पीड़ित किसी एक समुदाय से हों, और यह समुदाय पहले से ही राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र रहा हो।


अखिलेश यादव ने इस संवेदनशील मौके पर जो जिम्मेदार और मानवीय रुख अपनाया है, वह उन्हें एक मजबूत और जनपक्षधर नेता के रूप में स्थापित करता है।


अब समय है कि राज्य सरकार भी केवल संवेदना व्यक्त करने से आगे बढ़कर, जवाबदेही तय करे और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए ठोस कदम उठाए।




आपका क्या कहना है इस दुखद हादसे और नेताओं की प्रतिक्रिया पर? अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें। उत्तर प्रदेश की हर महत्वपूर्ण खबर और राजनीतिक विश्लेषण के लिए जुड़े रहें “अखिलेश की लहर” के साथ।



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